उपयोग : अरूचि, अजीर्ण, कोष्ठबद्धता, त्रिबन्ध, आमवात, वायुशूल, क्षयावद्धक आदि विकारों में लाभकारी।
सेवनीय मात्रा : 1 ग्राम दिन में दो बार चिकित्सक की देखरेख में सेवन करें।
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